इस महाविद्यालय में स्नातकोत्तर स्तर पर अर्थशास्त्र विभाग की शुरुआत 1987 में ही हो गयी थी। परंपरागत रूप से कठिन विषय माने जाने के बावजूद इस विषय में विद्यार्थयों की रुचि सदैव बनी रही। 20 विद्यार्थियों की प्रवेश क्षमता के बावजूद प्रायः स्थान रिक्त रहने की समस्या कम ही आयी।

विद्यार्थियों की रुचि का ही परिणाम यह है कि विश्वविद्यालय की प्रतिभा सूची में इस महाविद्यालय के विद्यार्थी आते रहे।

कौटिल्य ने भले ही राजनीति से जुड़ी अपनी पुस्तक का नाम अर्थशास्त्र रखा था, पर यह इस बात का संकेतक भी है कि अंततः अर्थ ही राज्य का आधार और उद्देश्य दोनों है।

इसे ही ध्यान में रखते हुए, महाविद्यालय का अर्थशास्त्र विभाग अपने विद्यार्थियों में पर्याप्त आर्थिक समझ विकसित करने का प्रयास करता है जिससे कि वे राष्ट्र की आर्थिक परीस्थितियों का वस्तुनिष्ठ मूल्याकन कर सकें।